राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे समय से पहले चाहती हैं चुनाव

जयपुर। सत्ता विरोधी लहर से चिंतित राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उम्मीद से पहले ही चुनावी बिगुल फूंकने की तैयारी कर ली है। राज्य में इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और राजे 4 अगस्त से ‘राजस्थान गौरव यात्रा’ शुरू करेंगी। इस 40 दिवसीय महत्वाकांक्षी यात्रा के जरिए संभावना है कि प्रदेश में बीजेपी की मौजूदा स्थिति में सुधार आए और उसे चुनाव उतरने से पहले ही कुछ फायदा मिल जाए। वहीं, कांग्रेस में नेतृत्व के मसले पर आपसी खींचतान मची हुई है और वह केवल बीजेपी की गलतियों को भुनाने की कोशिश करेगी।गौरव यात्रा कुल 200 विधानसभा सीटों में 165 से होकर गुजरेगी। इसका मकसद राजे सरकार के मौजूदा कार्यकाल में किए गए कामों को भुनाना है, जिससे बीजेपी को लगातार दूसरी बार सरकार बनाने का मौका मिल सके। इस 6,000 किमी. यात्रा में राजे 135 रैलियों को संबोधित कर सकती हैं। मुख्यमंत्री का प्रदेश पार्टी अध्यक्ष के चुनाव को लेकर 74 दिनों का गतिरोध चला था। ऐसे में उन पर पिछले चुनाव का जादू दोहराने के लिए अतिरिक्त दबाव है, जिसमें बीजेपी को 163 सीटें मिली थीं।बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘इस समय पार्टी का लक्ष्य 180 सीटें हासिल करना है। राजे ने वापस सत्ता में आने की चुनौती को स्वीकार कर लिया है। यह यात्रा व्यापक चुनावी अभियान की शुरुआत भर है। बीजेपी राज्य में सिर्फ एक बार लगातार सत्ता में आई है। उस समय पूर्व राष्ट्रपति और बीजेपी के दिग्गज नेता भैरों सिंह शेखावत ने 1990-92 तक शासन करने के बाद 1993 में सत्ता में वापसी की थी।बीजेपी के वरिष्ठ नेता का कहना है, ‘अगर राजे सफल होती हैं तो यह अलग तरह का रेकॉर्ड होगा, क्योंकि शेखावत की सफलता में 1992-93 तक एक साल का राष्ट्रपति शासन भी शामिल था। उसके बाद से एक बार बीजेपी तो दूसरी बार कांग्रेस सरकार बनाती रही है। इधर, कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर घमासान मचा है। बीजेपी इससे चुनावी फायदे की उम्मीद कर रही है।बीजेपी का कहना है कि विपक्षी दल बंटा हुआ है और अब तक वह सत्ताधारी पार्टी के लिए ठोस चुनौती पेश नहीं कर सका है। यहां तक राजे ने हाई-वोल्टेज चुनावी अभियान की शुरुआत भी कर दी है। कांग्रेस की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी ने भी अपना लीडरशिप का दावा ठोक दिया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट पहले से ही इसकी लड़ाई लड़ रहे हैं।

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